गरीब बच्चों को प्रमोट करने से स्कूलों ने किया इनकार, 500 से अधिक बच्चों का भविष्य खतरे में 

संक्षेप:

  • गरीब एवं कमजोर वर्ग के 1031 बच्चों का चयन।
  • स्कूलों ने गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला नहीं दिया।
  • 500 से अधिक बच्चे आज भी अधर में लटके हुए हैं।
  • ऑनलाइन क्लास होती और इन्हें प्रमोट करने में कोई दिक्कत नहीं होती।

नैनीताल। कोरोना की दूसरी लहर तक आते-आते सब कुछ बदल चुका है। आर्थिक व्यवस्था से लेकर स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, पर्यावरण, अस्पताल आदि सभी का ढांचा चरमरा गया है। स्थिति दिन से दिन भर भयंकर ही होती जा रही है। इसी बीच आरटीई के तहत स्कूलों में मुफ्त में दाखिला को लेकर स्थितियां गंभीर हो चली है। अभिभावकों द्वारा स्कूलों के चक्कर लगाए जा रहे हैं। पर प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रोन्नत के संबंध में मामला उलझा हुआ है।  

दरअसल 2020-21 शिक्षा सत्र में नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब एवं कमजोर वर्ग के 1031 बच्चों का चयन निजी एवं पब्लिक स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए हुआ था। उस वक्त कोरोना की वजह से लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद थे। शिक्षा विभाग ने सभी प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों को 31 अगस्त 2020 को पत्र के साथ चयनित बच्चों की सूची भेजी और निर्देशित किया कि कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए विद्यालयों के विधिवत खुलने पर चयनित छात्र-छात्राओं को प्रवेश देने की कार्रवाई करें। इधर, अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूलों में चक्कर भी काटे मगर एक से पांचवीं तक के स्कूल न खुलने के आधार कुछ स्कूलों को छोड़कर अधिकांश स्कूलों ने गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला नहीं दिया और न ही उनकी पढ़ाई हो पाई। इस कारण 500 से अधिक बच्चे आज भी अधर में लटके हुए हैं।

विभाग इन बच्चों को भी दूसरे बच्चों की तरह पब्लिक स्कूलों से दूसरी कक्षा में प्रोन्नत करने को कह रहा है मगर स्कूल इसके लिए तैयार नहीं हैं। स्कूलों का तर्क है कि जब इन बच्चों का विधिवत प्रवेश ही नहीं हुआ और न ही एक भी दिन पढ़ाई हुई तो उन्हें कैसे दूसरी कक्षा में प्रोन्नत किया जा सकता है। स्कूलों में जो बच्चे कक्षा एक में थे उनकी ऑनलाइन क्लास हुई। अगर इन बच्चों का नाम लिखा गया होता तो इनकी भी ऑनलाइन क्लास होती और इन्हें प्रोन्नत करने में कोई दिक्कत नहीं होती।

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मुख्य शिक्षाधिकारी केके गुप्ता का कहना है कि आरटीई के तहत शिक्षा सत्र 2020-21 में जिन बच्चों का निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए चयन हुआ था, उनकी सूची स्कूलों को उसी समय भेज दी गई थी। बच्चों को प्रवेश देने के लिए ही स्कूलों को विभाग के पोर्टल पर बटन को क्लिक करने को कहा गया था। कुछ स्कूलों की शिकायतें मिली हैं कि उन्होंने बच्चों को प्रवेश नहीं दिया हैं ऐसे स्कूलों की जांच की जा रही है।

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