नेता जी के निधन पर काशी में दौड़ी शोक की लहर, नम आंखों से गंगा में दीपदान कर की मोक्ष की कामना

संक्षेप:

  • नेता जी के निधन पर काशी में दौड़ी शोक की लहर।
  • नम आंखों से गंगा में दीपदान कर की मोक्ष की कामना।
  • बनारस सेंट्रल जेल में समाजपार्टी पार्टी बनाने की योजना की थी तैयार।

वाराणसी. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से काशीवासियों में शोक की लहर है। लोग उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। काशी की जनता ने और सपा कार्यकर्ताओं ने मोक्षदायनी गंगा में दीपदान कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मां गंगा से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। काशीवासियों ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को धरतीपुत्र कहा जाता था।

संगठन के लोगों के मार्गदर्शक के रूप में रहे नेताजी

उनका जाना भारतीय राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति है। विधानसभा से लेकर सदन तक नौजवानों, किसानों व गरीबों की बात रखते थे। कहा कि नेताजी ने सपा कार्यकर्ताओं को हमेशा एक नई राह दिखाने का काम किया। संगठन के लोगों के मार्गदर्शक के रूप में रहे। काशीवासियों व सपाइयों ने गंगा में 21 दीप जलाकर गंगा में विसर्जित कर मां गंगा से प्रार्थना की।

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लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील थे मुलायम सिंह यादव

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर महानगर कांग्रेस कमेटी ने शोक व्यक्त किया। कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा कि मुलायम सिंह यादव एक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। उन्हें एक विनम्र और जमीन से जुड़े नेता के रूप में व्यापक रूप से सराहा गया, जो लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील थे। उन्होंने लगन से लोगों की सेवा की और लोकनायक जेपी और डॉ. लोहिया के आदर्शों को लोकप्रिय बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर स्थापित किया व एक सामान्य परिवार से निकलकर, समाजवाद की परिभाषा को परिभाषित करने वाले, माटी के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन भारतीय राजनीति की अपूर्णीय क्षति है।

बनारस सेंट्रल जेल में समाजपार्टी पार्टी बनाने की योजना की थी तैयार

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की वाराणसी से कई यादें जुड़ी हुई हैं। बनारस सेंट्रल जेल में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाने की योजना बनाई थी। उनका वाराणसी और यहां के लोगों से विशेष लगाव था। अलग-अलग मौकों पर कई राजनीतिक रैलियां और सभाएं की। धर्म-कर्म के काम से भी वह धर्मनगरी काशी आते रहते थे। कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी उन्होंने किया। वाराणसी और मिर्जापुर जिले के हिस्से को अलग कर भदोही जिला बनाया।

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